daku story 2024- kukhyaat chandan taskar Veerappan ka encounter ki inside story

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वह इतना शातिर था कि 3 राज्यों की पुलिस लगातार 36 सालों तक उसे खोजते रह गई। लेकिन वह उन्हें चक्कर पर चक्कर लगाता रहा। जंगल के चप्पे-चप्पे का जानकार होने का उसमें कुछ इस तरीके से फायदा उठाया कि जंगल में कोई भी उसे पकड़ न पाया नहीं मार पाया बल्कि जिसने भी उसके पीछे जाने की कोशिश की उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। लाल चंदन लकड़ी चोरी का कुख्यात अपराधी था.

एक बार जब पुलिस से छिपता फिर रहा था. उसके हाथ में उसकी अपनी ही नवजात बेटी थी पर अचानक बेटी रोना लगे और वह पकड़ा जाए इसलिए उसने अपनी ही बेटी को मौत की नींद सुला दिया। द पुलिस ने उसे किसी तरह जंगल से बाहर निकाले और फिर उसे न्यूट्रलाइज करने का प्लान बनाया तो आखिर पुलिस प्लेन को किस तरह एग्जीक्यूट करता है और क्या थी kukhyaat chandan taskar Veerappan ka encounter ki inside story जाने के लिए article में बिल्कुल आखिर तक बने रहे।

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Daku Veerappan ke kahani – 2024

केरल, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश, के क्षेत्रों में पहली चंदन के जंगलों में एक समय ऐसा। जब पुलिस वाले जाने से पहले पूरी तैयारी करती थी। फिर भी जंगल में एंट्री मारने से पहले कई बार सोचते क्योंकि उस जंगल में चंदन की लकड़ी का कुख्यात तस्कर वीरप्पन मौजूद होता था जो अपनी क्रूरता और खतरनाक इरादों को अंजाम देने के वे घात लगाकर बैठे रहते थे.

कुख्यात तस्कर वीरप्पन मौजूद होता था जो अपनी क्रूरता और खतरनाक इरादों को अंजाम देने के वे घात लगाकर बैठे रहते थे.

3 स्टेट के पुलिस ज्वाइंट ऑपरेशन चलाने के बाद भी उसे पकड़ नहीं पा रही थी। राज्य सरकारों ने उसके खिलाफ चलाए गए अभियान में 100 करोड से भी ऊपर खर्च किया। फिर भी वीरप्पन का कोई अता-पता नहीं था। उन दिनों तमिलनाडु में जयललिता की सरकार थी और साल 2001 के जून महीने में जयललिताजयललिता - Taaja jankari 2024 ने फिर वीरप्पन के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की कमान सीनियर आईपीएस विजय कुमार को सौंपी। उन्हें तमिलनाडु चीफ बनाया गया। इस उम्मीद के साथ के आतंक का सफाया करें। आईपीएस विजय कुमार भी वीरप्पन के खतरे को अच्छी तरह से जानते थे। पुलिस वाले इस बात को अच्छी तरह से समझ चुके थे कि वीरप्पन को जंगल के भीतर पकड़कर मारना या फिर उसे जिंदा पकड़ना बड़ा। मुश्किल है।क्योंकि वह जंगल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ था और वह एक पल में ही जंगल में कहीं छुप जाता।

यहां वहां भाग जा तब वीरप्पन को पकड़ने का एक ही तरीका नज़र आ रहा था कि किसी तरीके से उसे जंगल के बाहर बुलाया जाए और फिर उसे खत्म किया जाए। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर वीरप्पन बाहर क्यों आएगा और उसे बाहर किस तरह बुलाया जाएगा।

Veerappan

तमिलनाडु के धर्मपुरा का इलाका रोज की तरह अपने नए दिन की शुरुआत कर रहा था। चाय की एक दुकान पर बैठा एक व्यक्ति अपनी चाय खत्म कर चुका था और वह किसी का इंतजार कर रहा था। तभी थोड़ी देर बाद वहां पर एक दूसरा व्यक्ति आता है और उसे चाय के लिए पूछता है पर वह मना कर देता है। इसके बाद दोनों आपस में बातें करने लगते हैं।

इसके बाद दोनों आपस में बातें करने लगते हैं। ऐसा लगता है जैसे दोनों काफी परिचित है, पर बीच बाद में आने वाला व्यक्ति पहले वाले व्यक्ति को बताता है कि टारगेट बहुत जल्द ही अपने एरिया से बाहर आने वाला है।आने वाली अक्टूबर की 18 तारीख को वह जंगल से बाहर निकलेगा। उसके साथ चार-पांच लोग और भी रहेंगे। इनके लिए एक बड़ी गाड़ी का इंतजाम करना पड़ेगा। जब दूसरा व्यक्ति बोलता है कि क्या इसके लिए एंबुलेंस ठीक है। एंबुलेंस बिल्कुल ठीक है कि यह बातचीत वीरप्पन के ही दो लोग आपस में कर रहे थे। मगर इनमें से एक पुलिस का इंफॉर्मेशन वह वीरप्पन के गैंग में काम कर रहा था।

Veerappan ka encounter ki inside story

से मिली इंफॉर्मेशन को जल्द से जल्द अपने ऑफिसर तक पहुंचाना चाहता है। बास फॉरमेशन को एसटीएफ तक पहुंचा देता है। इसके बाद एसपी ऑफिस पुलिस टीम के साथ प्लान बनाया। अर अपने प्लान पर काम करना शुरू कर देते हैं। ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। इस ऑपरेशन के लिए खुद ही एक एंबुलेंस को ठीक करती है।

 से मिली इंफॉर्मेशन को जल्द से जल्द अपने ऑफिसर तक पहुंचाना चाहता है। बास फॉरमेशन को एसटीएफ तक पहुंचा देता है।

इसे ऑपरेशन Cocoon नाम दिया जाता है। एंबुलेंस को कोई घटना वाले दिन के ठीक पहले बोला गया जगह के अनुसार पुलिस एंबुलेंस को खड़ा कर देती है। तभी झाड़ियों के पीछे से एक हथियारबंद आदमी एंबुलेंस के पास आकर बोलता है। अन्ना बाहर खड़े हुए हैं।

चलो इसके बाद एंबुलेंस रवाना हो जाती है। 4 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद एक टंकी के पास जाकर एंबुलेंस को रुकवाया जाता है। सबसे पहले वीरप्पन ग्रुप का। मनी और चंद्र घोड़ा एंबुलेंस के पास आते हैं और उसमें बैठ जाते हैं।यह दोनों ही वीरप्पन के साथ आदमी सबसे पहले एंबुलेंस की जांच की जाती है और पूरी तरह से शोर होने के बाद एक तीसरा व्यक्ति झाड़ियों के बीच से बाहर निकलता है। यही व्यक्ति खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन था। इसके बाद ak-47 लेकर गोविंदन एंबुलेंस में सवार होता है।

Veerappan story 2024

एंबुलेंस अपने रास्ते पर रवाना होती है। वीरप्पन और उसके साथ ही इस बात से अनजान थे कि यही एंबुलेंस उनके लिए आगे चलकर यमराज का भैंसा बनेगी। वीरप्पन कितना भयानक था,

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🔴》Veerappan crime history

वीरप्पन कितना भयानक था, इसका अंदाजा आप इसकी क्राइम हिस्ट्री से लगा सकते हैं। उसमें लगभग 184 हत्याएं कीं जिनमें आधी से ज्यादा हत्याएं पुलिस और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की हत्याएं और फॉरेस्ट ऑफिसर से वीरप्पन को इतनी नफरत थी कि उसने एक अधिकारी को मारकर उसका सिर काटा और फिर उससे फुटबॉल खेलने लगा।

सरकार के आंकड़े बताते हैं कि उसने 500🐘 हाथियों को मौत के घाट उतार दिया था, लेकिन असल आंकड़ों की बात करें तो हाथियों के मारे जाने की संख्या लगभग 2000 आम तौर पर जब एक आदमी के सामने हाथी आ जाए तो वह कुछ करने लायक नहीं रहाथे। लेकिन फिर उनके सामने जब कोई हाथ ही आ जाता था तो वो निशान बांधकर हाथी के माथे के बीचो-बीच गोली मारता था, लेकिन स्पेशली फॉर चंदन की तस्करी के लिए जाना चाहता था।

वह लगभग 36 सालों के पीरियड में 10000 टन चंदन की लकड़ी काट कर बैच चुका। कर्नाटक और तमिलनाडु के जंगलों में अब चंदन का जंगल वीरप्पन के लालच की भेंट चढ चुका। अब आपके दिल में यह सब जरूर रहा होगा कि जो वीरप्पन!

Veerappan crime history
kukhyaat Daku Veerappan – वीरप्पन पकड़ में कैसे आया

इस बारे में जानकारी निकालने पर यह सामने आया कि उसे अपनी मूंछों के खिलाफ लगाने का शौक था। एक बार इसकी कुछ बूंदें उसकी आंख में पड़ गई और तब से उसकी आंख में समस्या पैदा होने लगी। वीरप्पन ने जब अपनी आंखों को आंख के डॉक्टर को दिखाने का फैसला किया तो इसकी इंफॉर्मेशन पुलिस को मालूम हो गया। एचडीएफसी विजय कुमार ने वीरप्पन को न्यूट्रलाइज करने का प्लान बनाया।

kukhyaat Daku Veerappan - वीरप्पन पकड़ में कैसे आया

एचडीएफसी विजय कुमार ने वीरप्पन को न्यूट्रलाइज करने का प्लान बनाया। जिस सड़क से रात में वीरप्पन की एंबुलेंस गुजरने वाली थी, उस पर एक स्कूल पढ़ता था और स्कूल के पास ही वीरप्पन को पकड़ने का प्लान बनाया। पुलिस को उसने अपना एक डेंजरस।18 अक्टूबर 7 2004 तमिलनाडु के धरमपुरा का। एक खतरनाक ऑपरेशन का साक्षी बनने जा रहा था। इस गांव के करीब में रोड पर जो स्कूल था उसे स्कूल से कुछ दूर पहले एक गन्ने से लगी हुई गाड़ी खड़ी थी। सड़क की दूसरी तरफ से एक और लारिका खड़ी हो गई।

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इसकी अपेक्षा कमांडो ak-47 लेकर स्कूल की छत पर पहुंच गए। उन्होंने सड़क की तरफ अपनी बंदूक का मुंह करके निशाना साधा। इसमें इंस्पेक्ट्स अपनी कमांडो के साथ मोर्चा संभाले हुए थे। इसके अलावा 3 किलोमीटर पहले बीएसपी के अंदर में एक और वह अपने हथियारबंद कमांडो के साथ खड़ी थी। इसका काम था वीरप्पन की गाड़ी को फॉलो करना और साथ ही पीछे आ रही दूसरी गाड़ियों को पहले ही रोक ले ताकि इस गोलाबारी में सिविल कैजुअल्टी की पॉसिबिलिटी नाहो

इसके कुछ मिनट बाद आईपीएस विजय कुमार ने नोटिस किया। एसपी कारण उनकी तरफ भागते हुए आते हैं। विजय कुमार अलग जाते हैं कि मिस्टर गाने एंबुलेंस को देख लिया। थोड़ी देर में एंबुलेंस की नीली और शोक लाइट जलती हुई कार नजर आती है। एंबुलेंस स्कूल के नजदीक आती है तो गन्ने की लारी रोड को ब्लॉक कर देती है।

अंदर बैठे Daku Veerappan इससे पहले कि कुछ समझ पाते। सर्वानंद के एक और अंडरकवर एजेंट एंबुलेंस से उतरकर नजदीक की आड़ लेकर खड़े हो जाते हैं। इसके बाद माइक पर एसपी करण की आवाज सुनाई देती है। वीरप्पन को सलेंडर की कॉल कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तुम्हें चारों तरफ से घेर लिया गया है। वीरप्पन सरेंडर कर दो मगर बिरापन इसका जवाब अपनी पिस्तौल से निकली हुई गोली से देता है जिसके जवाब में।कुमार जवानों को फायर का कॉल देते

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गोलीबारी 20 मिनट तक हुआ इसमें एक खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन का अंत हो गया था। 36 साल तक आतंक मचा हुआ था।

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वीरप्पन कितना भयानक था, इसका अंदाजा आप इसकी क्राइम हिस्ट्री से लगा सकते हैं। उसमें लगभग 184 हत्याएं कीं जिनमें आधी से ज्यादा हत्याएं पुलिस और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की हत्याएं और फॉरेस्ट ऑफिसर से वीरप्पन को इतनी नफरत थी कि उसने एक अधिकारी को मारकर उसका सिर काटा और फिर उससे फुटबॉल खेलने लगा।

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सरकार के आंकड़े बताते हैं कि उसने 500🐘 हाथियों को मौत के घाट उतार दिया था, लेकिन असल आंकड़ों की बात करें तो हाथियों के मारे जाने की संख्या लगभग 2000 आम तौर पर जब एक

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कुख्यात तस्कर वीरप्पन मौजूद होता था जो अपनी क्रूरता और खतरनाक इरादों को अंजाम देने के वे घात लगाकर बैठे रहते थे.

वह इतना शातिर था कि 3 राज्यों की पुलिस लगातार 36 सालों तक उसे खोजते रह गई। लेकिन वह उन्हें चक्कर पर चक्कर लगाता रहा। जंगल के चप्पे-चप्पे का जानकार होने का उसमें कुछ इस तरीके से फायदा उठाया कि जंगल में कोई भी उसे पकड़ न पाया नहीं मार पाया बल्कि जिसने भी उसके पीछे

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केरल, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश, के क्षेत्रों में पहली चंदन के जंगलों में एक समय ऐसा। जब पुलिस वाले जाने से पहले पूरी तैयारी करती थी। फिर भी जंगल में एंट्री मारने से पहले कई बार सोचते क्योंकि उस जंगल में चंदन की लकड़ी का कुख्यात तस्कर वीरप्पन मौजूद होता था जो अपनी क्रूरता और खतरनाक इरादों को अंजाम देने के वे घात लगाकर बैठे रहते थे.


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